Add To collaction

लेखनी कहानी -02-Dec-2023

......... ढेरा.......

सवालों का ढेरा है
बस दुआओं का सहारा है।।

मंजिल की राहों में बसेरा है
बस वक्त का चेहरा है।।

सवालों ने घेरा है
जिम्मेदारियों का पहरा है।।

ख़्वाब में तो आसमान की उड़ान है 
खुदकी बनानी पहचान है।।

सवाल है दिल में फैला,
क्यू चल रहा तू दलदल में अकेला।।

साथ तेरे परछाई भी तो है,
हाथ सिर पर तेरे दुआएं भी तो है।।.…...............................
नौशाबा जिलानी सुरिया

   4
2 Comments

Gunjan Kamal

05-Dec-2023 11:37 PM

👏👌

Reply

Naushaba Suriya

06-Dec-2023 03:10 PM

Shukriya 🙏

Reply